सालाना 127 बिलियन टन बर्फ खो रहा अंटार्कटिक : स्टडी

जलवायु एक्स्पर्ट्स (Climate Experts) के अनुसार, एंटार्टिका और ग्रीनलैंड की बर्फ का पिघलना वातावरण के विनाशकारी होता जा रहा है | एक्स्पर्ट्स का मानना है की आन्टार्टीका के ग्लेसियर तेजी से पिघल रहे हैं | हाल ही में आई अर्थ सिस्टम साइंस डेटा (Earth System Science Data) के 65 वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी में बताया की आन्टार्टीका और ग्रीनलैंड में सालाना 127 बिलियन टन बर्फ खो रही है|  ये पिछले 30 सालों से तीन गुना ज्यादा बढ़ गई है | 

पृथ्वी प्रणाली विज्ञान डेटा (Earth System Science Data) के इस रिसर्च को नासा (NASA) और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने फंड किया | स्टडी में पाया गया की आन्टार्टीका ने 2017 से 2020 तक 127 बिलियन टन बर्फ खोई है जो 1990s से 64 प्रतिशत ज्यादा है |

शुक्रवार को इस स्टडी को प्रकाशित किया गया | बर्फ के पिघलने का कारण पृथ्वी का तेजी से गरम होना है ऐसा जलवायु एक्स्पर्ट्स (climate Experts) का मानना है | पृथ्वी को सूरज के ज्यादा तेज किरणों से बचाने वाली ओज़ोन परत (ozone layer) हट रही है | कारणवश, आन्टार्टीका की बर्फ पिघल रही है | दुनिया भर में आन्टार्टीका में सबसे ज्यादा ग्लेसियर हैं जिसका पिघलना महासागर के लिए खतरा है| महासागर का लेवल बढ़ने से नदी में भी पानी बढ़ जाता है| कारणवश, तटीय इलाकों में बाढ़ की समस्या बढ़ जाती है | 


इस अध्ययन के सह लेखक, लीड्स विश्वविद्यालय (University of Leeds) के इनेस ओटोसाका ने बताया की बर्फ के पिघलने को तीन तरीकों से मापा गया | साथ ही साथ, NASA के पुराने वैज्ञानिक ,वलीद अब्दालती ने बताया ये नतीजे दुनिया भर के लोगों के लिए बुरा असर डालेगी |
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